न केवलमेक एव तु
शतसहस्राणि नेत्राणि,
तत्र प्रमाणं कर्म कोटिषु,
अग्निः साक्षी
अत एव पवित्रतमः ।
लक्ष्यं सुकृतेभ्यः
न व्यभिचरितव्यम्।
8 October 2023
न केवलमेक एव तु
शतसहस्राणि नेत्राणि,
तत्र प्रमाणं कर्म कोटिषु,
अग्निः साक्षी
अत एव पवित्रतमः ।
लक्ष्यं सुकृतेभ्यः
न व्यभिचरितव्यम्।
8 फ़ोल्लोवेर्
दीपक कुमार श्रीवास्तव "नील पदम्" रोटी के जुगाड़ से बचे हुए समय का शिक्षार्थी मौलिकता मेरा मूलमंत्र, मन में जो घटता है उसमें से थोड़ा बहुत कलमबद्ध कर लेता हूँ । सिर्फ स्वरचित सामग्री ही पोस्ट करता हूँ । शिक्षा : परास्नातक (भौतिक शास्त्र), बी.एड., एल.एल.बी. काव्य संग्रह: इंद्रधनुषी, तीन (साझा-संग्रह) नाटक: मधुशाला की ओपनिंग सम्पादन: आह्वान (विभागीय पत्रिका) सम्प्रति: भारत सरकार में निरीक्षक पद पर कार्यरत स्थान: कानपुर, मेरठ, रामपुर, मुरादाबाद, नोएडा, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश)D