प्रस्तुत पुस्तक लेखकत्रयी का प्रथम प्रयास है युगानुरूप विषयवस्तु के प्रस्तुतीकरण का प्रयास, नव्यज्ञान का समायोजन, प्रश्नमालाओं का निर्माण विषय वस्तु को और अधिक बोधगम्य बनाने की दिशा में एक किंचित सा अवदान है । विविध संहिता में प्रकीर्ण रूप से प्राप